1 टिप्पणियाँ on "चिट्ठा चर्चा: धोखाधडी नहीं चलेगी.."
alka mishra on 4 सितंबर 2009 को 7:43 pm बजे
ने कहा…
मैं तो यू ट्यूब द्वारा शिक्षा की पहल पर टिपियाने चली थी ये धोखाधडी शीर्षक कहाँ से आ गया ,आपका ब्लॉग खोलना ही बहुत टिपिकल है ,हम सीधे -सादे लोग इतने दंद फंद से घबरा जाते हैं
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टीपियाने ने पहले पढ़ने के अनुरोध के साथ: ''गंभीर लेखन पर अच्छा,सारगर्भित है ,कहने भर सेकाम नही चलेगा;पक्ष-विपक्ष की अथवा किसी अन्य संभावना की चर्चा हेतु प्रस्तुति में ही हमारे लेखन की सार्थकता है " हाँ विशुद्ध मनोरनजक लेखन की बात अलग है ; गंभीर लेखन भी मनोरनजक {जैसे 'व्यंग'} हो सकता है '| वैसे ''पानाला गिराएँ, जैसे चाहे जहाँ, खटोला बिछाएँ कहाँ यह आप की मर्ज़ी ,आख़िरी खुदा तो आप ही हो ''
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मैं तो यू ट्यूब द्वारा शिक्षा की पहल पर टिपियाने चली थी ये धोखाधडी शीर्षक कहाँ से आ गया ,आपका ब्लॉग खोलना ही बहुत टिपिकल है ,हम सीधे -सादे लोग इतने दंद फंद से घबरा जाते हैं
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टीपियाने ने पहले पढ़ने के अनुरोध के साथ:
''गंभीर लेखन पर अच्छा,सारगर्भित है ,कहने भर सेकाम नही चलेगा;पक्ष-विपक्ष की अथवा किसी अन्य संभावना की चर्चा हेतु प्रस्तुति में ही हमारे लेखन की सार्थकता है "
हाँ विशुद्ध मनोरनजक लेखन की बात अलग है ; गंभीर लेखन भी मनोरनजक {जैसे 'व्यंग'} हो सकता है '|
वैसे ''पानाला गिराएँ, जैसे चाहे जहाँ, खटोला बिछाएँ
कहाँ यह आप की मर्ज़ी ,आख़िरी खुदा तो आप ही हो ''